Sanskrit Ch- सदैव पुरतो निधेहि चरणम ( 8 A B )
DATE - 20 / 7/ 21
DAY- TUESDAY
GARDE- 8 A, B
Topic Taught- सदैव पुरतो निधेहि चरणम
Ch explanation done.
Homework- शब्द अर्थ और प्रश्न नंबर 2 उत्तर पुस्तिका में लिखें।
सरलार्थ
क) चल चल पुरतो निधेहि चरणम्।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥
सरलार्थ : चलो, चलो। आगे कदम रखो। सदा ही आगे कदम रखो।
(ख) गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्।
विनैव यानं नगारोहणम्॥
बलं स्वकीयं भवति साधनम्।
सदैव पुरतो ……………………….. ॥
सरलार्थ : निश्चय (निश्चित रूप) से पर्वत की चोटी पर अपना घर है। अतः बिना वाहन के ही पहाड़ पर चढ़ना है। (उस समय तो) अपना बल ही अपना साधन होता है। इसलिए सदा ही आगे कदम रखो।
(ग) पथि पाषाणा विषमाः प्रखराः।
हिंस्राः पशवः परितो घोराः॥
सुदुष्करं खलु यद्यपि गमनम्।
सदैव पुरतो ……………………….॥
सरलार्थ : रास्ते में विचित्र (अजीब) से नुकीले और ऊबड़-खाबड़ पत्थर तथा चारों ओर भयानक चेहरे और हिंसक व्यवहार वाले पशु घूमते हैं। (अत:) निश्चित रूप से जबकि वहाँ जाना कठिन है। (फिर भी) हमेशा ही आगे-आगे कदम रखो।
(घ) जहीहि भीतिं भज भज शक्तिम्।
विधेहि राष्ट्रे तथाऽनुरक्तिम्॥
कुरु कुरु सततं ध्येय-स्मरणम्।
सदैव पुरतो ……………..
सरलार्थ : डर को छोड़ दो और ताकत को याद करो। उसी प्रकार अपने देश से प्रेम (भी) करो। (और) सतत् अर्थात् लगातार अपने उद्देश्य को याद रखो। सदैव आगे (ही) कदम रखो।
प्रश्नः 2.
अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर एक पद में दीजिए-)
(क) स्वकीयं साधनं किं भवति?
(ख) पथि के विषमाः प्रखरा:?
(ग) सततं किं करणीयम्?
(घ) एतस्य गीतस्य रचयिता कः?
(ङ) सः कीदृशः कविः मन्यते?
उत्तरम्:
(क) बलम्।
(ख) पाषाणाः।
(ग) ध्येय-स्मरणम्।
(घ) श्रीधरभास्कर-वर्णेकरः।
(ङ) राष्ट्रवादी।
प्रश्नः 3.
मजूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मञ्जूषा से क्रिया पद चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
निधेहि, विधेहि, जहीहि, देहि, भज, चल, कुरु |
यथा-त्वं पुरतः चरणं निधेहि।
(क) त्वं विद्यालयं चल|
(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं विधेहि |
(ग) मयं जलं देहि।
(घ) मूढ जहीहि धनागमतृष्णाम्।
(ङ) भज गोविन्दम्।
(च) सततं ध्येयस्मरणं कुरु।